Ganesh Chalisa pdf | श्री गणेश चालीसा pdf

Ganesh Chalisa pdf : श्री गणेश चालीसा pdf: Ganesh Chalisa, a revered devotional hymn dedicated to Lord Ganesha, is a source of spiritual solace and profound connection for millions of devotees worldwide. In this comprehensive guide, we delve into the significance, history, and spiritual power of Ganesh Chalisa. Join us on a journey through the verses that invoke the divine blessings of Lord Ganesha and learn how this sacred chant can enrich your life.

Contents

The Origin of Ganesh Chalisa

Ganesh Chalisa, a 40-verse hymn, finds its roots in Hindu mythology. Composed by the legendary sage Tulsidas, it is an integral part of the Hindu scripture dedicated to Lord Ganesha. The hymn was written in Awadhi, a dialect of Hindi, and is sung in praise of Lord Ganesha, the elephant-headed deity revered as the remover of obstacles and the harbinger of auspicious beginnings.

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Understanding the Structure

1. The Invocatory Verses

The Ganesh Chalisa begins with invocatory verses, seeking the blessings of Lord Ganesha and setting a divine tone for the recitation.

2. Praise of Lord Ganesha

In subsequent verses, the hymn beautifully describes Lord Ganesha’s divine form, his graceful countenance, and his significance in the pantheon of Hindu deities.

3. Devotee’s Prayers

Devotees express their heartfelt prayers and seek the removal of obstacles in their lives.

The Spiritual Significance

1. Overcoming Obstacles

Ganesh Chalisa is a powerful tool for overcoming obstacles, whether they are physical, mental, or spiritual. Devotees believe that chanting these verses with devotion can help remove hurdles from their paths.

2. Blessing of Auspicious Beginnings

Lord Ganesha is also considered the god of new beginnings. Reciting the Ganesh Chalisa at the start of any endeavor is believed to bring success and good fortune.

The Impact on Devotees

1. Inner Peace and Tranquility

Regular recitation of Ganesh Chalisa is known to instill a sense of inner peace and tranquility, helping individuals navigate life’s challenges with grace.

2. Strengthening the Devotional Bond

For devotees, chanting the Ganesh Chalisa fosters a deep connection with Lord Ganesha, strengthening their faith and devotion.

सूर्यपुत्र गणपति: विघ्नहर्ता का आदिवाणी

भारतीय संस्कृति में भगवान गणेश को सभी देवों के प्रमुख माना जाता है। उन्हें ‘विघ्नहर्ता’ के रूप में जाना जाता है, जो किसी भी कार्य में आने वाली बाधाओं को दूर करने का काम करते हैं। गणपति बप्पा, मंगलमूर्ति, विनायक – इन नामों से भी वे पुकारे जाते हैं। आइए, हम गणेश चालीसा के माध्यम से इस महान देवता की महिमा के बारे में जानते हैं।

गणेश चालीसा: भगवान गणेश की उपासना

गणेश चालीसा, भगवान गणेश की महिमा का गान है, जिसे हिन्दू धर्म के अनुयायी उनकी पूजा-अर्चना के दौरान गाते हैं। यह चालीसा 40 श्लोकों से मिलकर बनी होती है और इसका पाठ गणपति के भक्ति और प्रेम में होता है। गणेश चालीसा के पाठ से विभिन्न प्रकार की संकटों से मुक्ति मिलती है और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।

मंगलमूर्ति रूप: गणपति का स्वरूप

गणेश चालीसा के पहले श्लोक में गणपति का मंगलमूर्ति रूप वर्णित है। उन्हें ‘सुर वधूति दिव्यमानि सुखदानि’ कहा गया है, जिसका अर्थ होता है कि वे सभी देवों के प्रमुख और सुखदायक हैं।

विघ्नहर्ता: संकटों का नाशक

गणेश चालीसा के दूसरे श्लोक में भगवान गणेश को ‘विघ्नहर्ता’ के रूप में प्रस्तुत किया गया है। वे हर प्रकार के संकटों को दूर करने वाले हैं और अपने भक्तों के जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति में सहायक होते हैं।

महाकवच: दुर्भाग्य से रक्षा

गणेश चालीसा के तीसरे श्लोक में गणपति को ‘महाकवच’ के रूप में विशेष रूप से वंदना किया गया है। उनकी कृपा से भक्तों को दुर्भाग्य से बचाने का काम यह महाकवच करता है।

आपके प्रेम का देवता: गणेश की आराधना

गणेश चालीसा के चौथे श्लोक में भगवान गणेश को ‘आपके प्रेम का देवता’ कहा गया है। यह चालीसा उनकी भक्ति में रमणीयता और प्रेम का गीत है, जिसके पाठ से भक्त उनके प्रेम में लीन होते हैं।

सिद्धिविनायक: समृद्धि के देवता

गणेश चालीसा के पांचवे श्लोक में भगवान गणेश को ‘सिद्धिविनायक’ के रूप में पुकारा गया है। वे समृद्धि और सिद्धि के देवता होते हैं, और उनकी आराधना से भक्तों को समृद्धि प्राप्त होती है।

गणपति बप्पा: मुंबई के राजा

गणेश चालीसा के छठे श्लोक में गणपति को ‘गणपति बप्पा’ के रूप में समर्पित किया गया है। मुंबई में आयोजित होने वाले गणपति उत्सव में उनकी विशेष पूजा की जाती है और उन्हें ‘गणपति बप्पा’ के नाम से पुकारा जाता है।

विघ्न विनाशक: संकटों के प्रति साहसी

गणेश चालीसा के सातवें श्लोक में भगवान गणेश को ‘विघ्न विनाशक’ के रूप में वंदना किया गया है। वे संकटों के प्रति साहसी होते हैं और अपने भक्तों को हर मुश्किल से पार करने में मदद करते हैं।

जय गणेश: आदि देवता की पूजा

गणेश चालीसा के आठवें श्लोक में भगवान गणेश को ‘जय गणेश’ के रूप में प्रस्तुत किया गया है। वे आदि देवता के रूप में पूजे जाते हैं और उनकी कृपा से ही कोई कार्य सफल होता है।

सर्वविघ्नहर्ता: सभी बाधाओं के नाशक

गणेश चालीसा के नौवें श्लोक में भगवान गणेश को ‘सर्वविघ्नहर्ता’ के रूप में वंदना किया गया है। वे सभी प्रकार की बाधाओं को नष्ट करने वाले हैं और अपने भक्तों को सफलता की ओर अग्रसर करते हैं।

विघ्न विनाशक: संकटों के प्रति साहसी

गणेश चालीसा के दसवें श्लोक में भगवान गणेश को ‘विघ्न विनाशक’ के रूप में वंदना किया गया है। वे संकटों के प्रति साहसी होते हैं और अपने भक्तों को हर मुश्किल से पार करने में मदद करते हैं।

सुखकर्ता: सुख-शांति के दाता

गणेश चालीसा के ग्यारहवें श्लोक में भगवान गणेश को ‘सुखकर्ता’ के रूप में पुकारा गया है। वे सुख और शांति के दाता हैं और उनकी आराधना से भक्तों को आनंदमय जीवन मिलता है।

जय गणपति: आदि देवता की पूजा

गणेश चालीसा के बारहवें श्लोक में भगवान गणेश को ‘जय गणेश’ के रूप में प्रस्तुत किया गया है। वे आदि देवता के रूप में पूजे जाते हैं और उनकी कृपा से ही कोई कार्य सफल होता है।

मंगलकारी: भगवान की कृपा

गणेश चालीसा के तेरहवें श्लोक में भगवान गणेश को ‘मंगलकारी’ के रूप में पुकारा गया है। वे सभी अच्छे कामों के प्रति मंगलकारी होते हैं और उनकी कृपा से ही समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है।

गणेश चालीसा का महत्व: संकटों के निवारण का उपाय

गणेश चालीसा का पाठ करने से भक्तों को संकटों से मुक्ति मिलती है और उनका जीवन सुखमय बनता है। गणेश चालीसा का पाठ करने से विघ्नों का नाश होता है और भगवान गणेश की कृपा से हर कार्य सफलता प्राप्त करता है।

Ganesh Chalisa ka Paath: गणेश चालीसा का पाठ

।। दोहा ।।

जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल ।

विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल ।।

।। चौपाई ।।

जय जय जय गणपति गणराजू । मंगल भरण करण शुभः काजू ।।

जै गजबदन सदन सुखदाता । विश्व विनायका बुद्धि विधाता ।।

वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना । तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ।।

राजत मणि मुक्तन उर माला । स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ।।

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं । मोदक भोग सुगन्धित फूलं ।।

सुन्दर पीताम्बर तन साजित । चरण पादुका मुनि मन राजित ।।

धनि शिव सुवन षडानन भ्राता । गौरी लालन विश्व-विख्याता ।।

ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे । मुषक वाहन सोहत द्वारे ।।

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी । अति शुची पावन मंगलकारी ।।

एक समय गिरिराज कुमारी । पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ।।

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा । तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ।।

अतिथि जानी के गौरी सुखारी । बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ।।

अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा । मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ।।

मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला । बिना गर्भ धारण यहि काला ।।

गणनायक गुण ज्ञान निधाना । पूजित प्रथम रूप भगवाना ।।

अस कही अन्तर्धान रूप हवै । पालना पर बालक स्वरूप हवै ।।

बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना । लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ।।

सकल मगन, सुखमंगल गावहिं । नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ।।

शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं । सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ।।

लखि अति आनन्द मंगल साजा । देखन भी आये शनि राजा ।।

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं । बालक, देखन चाहत नाहीं ।।

गिरिजा कछु मन भेद बढायो । उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ।।

कहत लगे शनि, मन सकुचाई । का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ।।

नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ । शनि सों बालक देखन कहयऊ ।।

पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा । बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ।।

गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी । सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ।।

हाहाकार मच्यौ कैलाशा । शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ।।

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो । काटी चक्र सो गज सिर लाये ।।

बालक के धड़ ऊपर धारयो । प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ।।

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे । प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ।।

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा । पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ।।

चले षडानन, भरमि भुलाई । रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ।।

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें । तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ।।

धनि गणेश कही शिव हिये हरषे । नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ।।

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई । शेष सहसमुख सके न गाई ।।

मैं मतिहीन मलीन दुखारी । करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ।।

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा । जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ।।

अब प्रभु दया दीना पर कीजै । अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ।।

।। दोहा ।।

श्री गणेशा यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान ।

नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान ।।

सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश ।

पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ती गणेश ।।

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Conclusion

Ganesh Chalisa is not just a collection of verses; it is a path to divine connection and spiritual growth. Embrace the power of this hymn, and let the blessings of Lord Ganesha guide your life. Through its verses, you can find solace, overcome obstacles, and experience the divine presence in your daily existence.

इस चालीसा को प्रतिदिन पढ़ने से हम अपने जीवन को आनंदित और मंगलमय बना सकते हैं। इसे अपने पूजा स्थल पर सजाकर रखें और नियमित रूप से पढ़कर गणेश के आशीर्वाद को प्राप्त करें । गणेश चालीसा एक महत्वपूर्ण पूजा है जो हमें जीवन की कठिनाइयों को पार करने की शक्ति प्रदान करती है। यह हमारे मानसिक और आत्मिक विकास में मदद करता है और हमारे जीवन को मंगलमय बनाता है

Frequently Asked Questions (FAQs)

1. Can non-Hindus chant Ganesh Chalisa?

  • Yes, anyone seeking spiritual solace and blessings can chant Ganesh Chalisa regardless of their religious beliefs.

2. How often should I chant Ganesh Chalisa?

  • Chanting once a day, especially in the morning, can have a profound impact. However, you can chant it as often as you feel drawn to seek Lord Ganesha’s blessings.

3. Is there a specific time to chant Ganesh Chalisa?

  • While there is no specific time, many devotees prefer to recite it in the morning or during their daily puja rituals.

4. Can I chant Ganesh Chalisa silently?

  • Yes, you can chant it silently or aloud, depending on your preference and the environment.

5. Are there any specific offerings to accompany the chant?

  • While not mandatory, offering modak (a sweet treat) or red flowers to Lord Ganesha during your recitation is considered auspicious.

ये भी पढें:

  1. हनुमान चालीसा का हिंदी में अर्थ
  2. श्री दुर्गा चालीसा का हिंदी में अर्थ
  3. श्री शनि चालीसा का हिंदी में अर्थ

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