Shri Shiv Chalisa in Hindi | श्री शिव चालीसा
Shri Shiv Chalisa: शिव चालीसा: This hymn indeed holds a special place in Hindu devotional practices, serving as a means for devotees to express their reverence and seek blessings from Lord Shiva. The vivid imagery and heartfelt verses capture the essence of Shiva’s divine attributes, his role as a protector, and his association with various symbols and companions. Reciting the Shiv Chalisa is believed to not only convey devotion but also provide a sense of solace and strength to overcome life’s challenges. The chalisa serves as a powerful medium through which devotees can connect with the profound spirituality of Lord Shiva.
शिव चालीसा, वह स्वर्णिम और भक्तिपूर्ण आराधना का हिमालय है, जिसे हिन्दू धर्म के सर्वोच्च देवता भगवान शिव के लिए समर्पित किया गया है। यह चालीसा, जिसका शाब्दिक अर्थ “चालीस छंद” होता है, हिन्दू प्रार्थनाओं के महत्वपूर्ण हिस्से में से एक है और इसे दुनियाभर में लाखों भक्तों द्वारा पाठ किया जाता है। यह चालीसा भगवान शिव की महिमा की प्रशंसा करती है, जिन्हें शंकर, पुरारी और नाथ के नामों से भी जाना जाता है।
शिव चालीसा के शब्द भगवान शिव की अत्यधिक शक्ति और सौन्दर्य का वर्णन करते हैं। उनके त्रिशूल (त्रिशूल) के साथ, वह बिना भय के ब्रह्मांड के संरक्षक के रूप में उभरते हैं, दुष्टता को नष्ट करते हैं और अपने भक्तों को समृद्धि प्रदान करते हैं। चालीसा उनके विशेष साथियों की भी प्रशंसा करती है, जिनमें उनका दिव्य बैल नंदी और उनकी पत्नी पार्वती भी शामिल है।
एक भक्तिमान हिन्दू की एकमात्र अत्यंत इच्छा है कि वह भगवान शिव की कृपा प्राप्त करें। शिव चालीसा का पाठ करके भक्त मानते हैं कि उन्हें जीवन में दुख और बाधाओं को पार करने की क्षमता प्राप्त होती है। इस चालीसा में भक्ति की महत्वपूर्णता को बल मिलता है, “जय शिव शंकर” और “नमो नमो” जैसी वाक्यांशों से भगवान के प्रति गहरी श्रद्धा और आदर्श को व्यक्त किया जाता है।
चालीसा में चित्रण किया गया चित्र भगवान शिव की विविधता को जीवंत करता है। उनके शांत चेहरे, जिन्हें कमल के समान उपमा दी गई है, से लेकर आयोध्या नगर तक, जहां उनकी भक्ति और उम्मीद से पूजा होती है, चालीसा के हर पहलू से हिन्दू मिथकों में शिव की भूमिका की गहराई को समझाने की प्राप्ति होती है।
Shiv Chalisa Lyrics
श्री शिव चालीसा
||दोहा||
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
||चौपाई||
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥
मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥
धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥
नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
||दोहा||
नित्त नेम कर प्रातः ही,पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण ॥
|| श्री शिव चालीसा संपूर्ण ||
By reciting Shiv Chalisa, the devotees get wealth, prosperity, happiness, peace and health. Apart from this, the devotees who recite Shiv Chalisa regularly get freedom from all kinds of troubles by the grace of Lord Shiva. In today’s times when people are facing various problems in their life, recitation of Shiv Chalisa gives them inner peace and balance.
शिव चालीसा का पाठ करने से भक्तों को धन, समृद्धि, सुख-शांति और आरोग्य प्राप्त होता है। इसके अलावा, जो भक्त नियमित रूप से शिव चालीसा का पाठ करते हैं, उन्हें भगवान शिव की कृपा से सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।
आज के समय में जब लोग अपने जीवन में विविध प्रकार की समस्याओं से जूझ रहे हैं, उस समय शिव चालीसा का पाठ उन्हें आत्मिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।
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